फ़िल्म : रोग
ख़ूबसूरत है वो इतना सहा नहीं जाता,
कैसे हम ख़ुद को रोक लें रहा नहीं जाता
ख़ूबसूरत है वो इतना सहा नहीं जाता
कैसे हम ख़ुद को रोक लें रहा नहीं जाता
चाँद में दाग है ये जानते है हम लेकिन
रात भर देखे बिना उसको रहा नहीं जाता
ख़ूबसूरत है वो इतना सहा नहीं जाता…
जो मेरा हो नहीं पायेगा इस जहां में कहीं
रुह बनकर मिलूँगा उसको आसमां में कहीं
प्यार धरती पर फरिश्तों से किया नहीं जाता
ख़ूबसूरत है वो इतना सहा नहीं जाता…
उन निगाहों में मोहब्बत नहीं तो कहो और क्या है
पर वो मुझ से ये कह रहा वो किसी और का है
जरा सा झूठ भी ढंग से कहा नहीं जाता
ख़ूबसूरत है वो इतना सहा नहीं जाता
आँख में क़ैद किये बैठा मैं एक हसीन लम्हा
जब मैं इस नींद से जागूँगा तो दिल टूटेगा
वो मुझे ख्वाब कोई क्यूँ दिखा नहीं जाता
ख़ूबसूरत है वो इतना सहा नहीं जाता…